कंप्यूटर स्पीड (computer speed) को बढ़ाने के टिप्स
पीसी को और फास्ट कैसे करें
मशहूर पेंटर Pablo Picaso ने कंप्यूटर को यूजलेस कहा था क्योंकि वह सिर्फ सवालों का जवाब दे सकता है, पूछ नहीं सकता। पिकासो का ऐसा कहना सटीक लगता है क्योंकि कंप्यूटर बिना आपके ऑर्डर के न तो काम शुरू करता है और न ही बंद होता है।
किसी भी Window को क्लोज करने से पहले भी यह यूजर की सहमति मांगता है- ' Do you want to save the changes' यूजर के पास तीन ऑप्शन होते हैं- Yes, No or Cancel इनमें से किसी एक ऑप्शन पर क्लिक करते ही आप उम्मीद कर सकते हैं कि यह मशीन आपके कमांड के अनुसार फौरन ऐक्शन शुरू कर दे। अगर कंप्यूटर ने आपके आदेश को मानने में चंद सेकंड की देरी की तो मान लें कि आपकी इस स्पीड मशीन का सिस्टम स्लो है। फिर आप फौरन इस समस्या से निबटने की तरकीबें ढूंढना शुरू कर दें, वरना कंप्यूटर का यह मर्ज 'Hang' के रूप में दिखने लगेगा। इसके बाद ऐसे सिस्टम पर काम करने में मुश्किल आएगी।
क्या कंप्यूटर स्लो हैं
- जब कंप्यूटर ऑन करते हैं तो उसके शुरू होने में एक मिनट से ज्यादा वक्त लगे।
स्लो होने की खास वजहें:
RAM की कपैसिटी कम होने और ऐप्लिकेशन का बोझ बढ़ने से स्पीड स्लो हो जाता हैं. इस प्रॉब्लम से निपटने के लिए यूजर स्पेस चेक करना होगा।
जब हम एक साथ कई ऐप्लिकेशंस को ऑपरेट करते हैं तो मेमरी स्पेस कम हो जाता है। इसलिए जब कंप्यूटर स्लो होने लगे तो चेक करें कि कौन सा ऐप्लिकेशन प्रॉसेसर को रोक रहा है या कितने स्पेस का यूज हो रहा है। चेक करने का तरीका आसान है:
स्टेप1 - CRTL+ ALT + DEL करें, एक नई विंडो स्क्रीन सामने आएगी। इसमें टास्क मैनेजर पर क्लिक करें।
स्टेप 2 - फिर उसमें 'प्रॉसेसेज' का बटन क्लिक करें।
स्टेप 3- स्क्रीन पर एक लिस्ट दिखेगी, अब मेम. यूसेज पर क्लिक करें। फाइलें अरेंज हो जाएंगी। अब फाइल्स और ऐप्लिकेशन की साइज के मुताबिक अपनी फौरी प्राथमिकता तय करें यानी यह तय करें कि फिलहाल किस ऐप्लिकेशन को बंद किया जा सकता है और किसे नहीं।
स्टेप 4 - फिर उस ऐप्लिकेशन को बंद करें, कंप्यूटर की स्पीड बढ़ जाएगी।
स्लो कंप्यूटर से बचना हो तो-
1. आपके कंप्यूटर की सी ड्राइव में कम-से-कम 300 से 500 एमबी फ्री स्पेस हो। इसे देखने के लिए माई कंप्यूटर पर क्लिक करें, उसमें सी ड्राइव जहां लिखा है, उसके सामने स्पेस की जानकारी मिल जाती है।
2. अगर सी ड्राइव में स्पेस फुल हो तो वहां पड़ी बेकार की फाइलें और प्रोग्राम्स को डिलीट कर दें।
3. अगर सी ड्राइव की मेमरी में 256 एमबी से कम स्पेस बचा है तो गेम्स न खेलें।
4. हार्ड ड्राइव को अरेंज करने के लिए महीने में एक बार डिस्क फ्रेगमेंटर जरूर चलाएं। यह आपकी हार्ड डिस्क में सेव की गई अव्यवस्थित फाइलों और फोल्डरों को अल्फाबेट के हिसाब से दोबारा अरेंज करता है।
5. अगर एक सिस्टम में दो विडियो ड्राइवर (मसलन, विंडो मीडिया प्लेयर और वीएलसी प्लेयर) हैं तो बारी-बारी उनका यूज करें, दोनों को एक साथ बिल्कुल न चलाएं।
6. किसी नए विंडो सॉफ्टवेयर को रीलोड करने से पहले उसके पुराने वर्जन को डिलीट करें।
7. इंटरनेट से ऐंटि-वायरस और प्रोग्राम डाउनलोड करने से परहेज करें, डुप्लिकेट ऐंटि-वायरस प्रोग्राम्स को करप्ट (खत्म) कर सकता है।
8. पुराने सॉफ्टवेयर पर नए प्रोग्राम्स को रन न करें।
9. नए प्रोग्राम के हिसाब से सॉफ्टवेयर लोड कर अपने सिस्टम को अपडेट करें।
10. जब एक साथ तीन सॉफ्टवेयर प्रोग्राम चल रहे हों तो इंटरनेट को यूज न करें।
11. जब सिस्टम स्लो होने लगे तो लगातार कमांड न दें वरना कंप्यूटर हैंग हो सकता है।
12. पेन ड्राइव यूज करते समय ध्यान रखें कि वह कहीं अपने साथ वायरस तो आपके कंप्यूटर से शेयर नहीं कर रहा है। पेन ड्राइव को सिस्टम से अटैच करने के बाद ओपन करने से पहले स्कैन करें। अगर आपके सिस्टम में इफेक्टिव ऐंटि-वायरस नहीं है, तो पेन ड्राइव को फॉर्मेट भी किया जा सकता है। फॉर्मेट करना बेहद आसान है। पेन ड्राइव का आइकन कंप्यूटर पर आते ही उस पर राइट क्लिक करें। फॉर्मेट का ऑप्शन आ जाता है। मगर ध्यान रखें कि फॉर्मेट करने पर पेन ड्राइव का पूरा डेटा डिलीट हो जाता है।
13. बीच-बीच में सिस्टम से टेंपररी इंटरनेट फाइल्स को भी डिलीट करना जरूरी है। इसके लिए ब्राउजर ( इंटरनेट एक्सप्लोरर या मोजिला) ओपन करते ही ऊपर की तरफ टूल्स का ऑप्शन लिखकर आता है। उस पर क्लिक कर इंटरनेट ऑप्शन को चुन लें। ऐसा करते ही एक नया विंडो खुलेगा, जिसमें एक ऑप्शन ब्राउजिंग हिस्ट्री और कुकीज को डिलीट करने का भी होगा। इस पर क्लिक करते ही टेंपरेरी फाइल्स डिलीट हो जाती हैं।
हालांकि कंप्यूटर में ऐक्टिव वायरस होने पर वंर्किंग के दौरान ही दिक्कतें आने लगती हैं। वायरस का नाम भी स्क्रीन पर कोने में आने वाले पॉप अप विंडो के जरिए आने लगता है। इसके अलावा वायरस होने पर तमाम फाइल और फोल्डर्स के डुप्लिकेट बनने लगते हैं। कई फोल्डर्स में ऑटो रन की फाइल अपने आप बन जाती है। बिना कमांड के अनवॉन्टेड फाइलें खुलने और बनने लगेंगी। जब कंप्यूटर इंटरनेट से कनेक्ट हो और लगातार ऐंटि-वायरस लोड करने की गुजारिश की जा रही हो तब मान लीजिए कि वायरस अटैक हो चुका है।
- सिस्टम से वायरस को हटाने के लिए ओरिजिनल ऐंटि-वायरस लोड करें, यह पूरे कंप्यूटर में वायरस को ढूंढकर खत्म करेगा।
- कॉम्बो फिक्स, अविरा, नॉरटन, साइमेनटेक, मैकेफी जैसे कई पॉप्युलर ऐंटि वायरस मार्केट में जाते हैं। एक साल के लिए मिलने वाले इन ऐंटि-वायरस को ऑनलाइन अपडेट भी किया जाता है।
- ऐप्लिकेशन के यूज के दौरान डायलॉग बॉक्स के स्क्रीन पर दिखने में 15 सेकंड से ज्यादा समय लगे यानी किसी चीज पर क्लिक करने के बाद उसके ओपन होने में बहुत वक्त लगे।
- कमांड देने के बाद विंडो 10 सेकंड तक ओपन न हो।
- सिस्टम वायरस की चपेट में आने से
- नकली या फिर बिना लाइसेंस वाले सॉफ्टवेयर का यूज करने से
- नए ऐप्लिकेशन और सीपीयू की स्पीड में तालमेल नहीं होने
- एक साथ कई ऐप्लिकेशंस पर काम करने से
- गेम्स और साउंड व हेवी पिक्चर वाले स्क्रीनसेवर भी कंप्यूटर की स्पीड को कम कर देते हैं
RAM की कपैसिटी कम होने और वर्क लोड लगातार बढ़ने की वजह से कंप्यूटर की स्पीड कम हो जाती है। इसलिए यूज के हिसाब से RAM की कपैसिटी बढ़ानी चाहिए।
दरअसल क्वॉर्क, फोटोशॉप, विडियो प्लेयर जैसे कई ऐप्लिकेशन स्पेस के भूखे होते हैं। इन पर काम करने के साथ ही मेमरी में स्पेस कम होता जाता है। इस दौरान जब कई सॉफ्टवेयर पर एक साथ काम किया जाता है, तब कंप्यूटर के हैंग और स्लो होने का खतरा बढ़ जाता है। बकौल जैन, 2 जीबी की RAM, 3 मेगाहर्ट्ज की स्पीड में चलने वाला सीपीयू और 160 से 320 जीबी तक की हार्ड डिस्क से लैस कंप्यूटर में स्लो या हैंग होने की दिक्कत कम आती है। ऐसे कंप्यूटर पर जनरल प्रोग्राम्स के साथ इंटरनेट से कंटेंट डाउनलोडिंग के अलावा विडियो-ऑडियो प्रोग्राम्स को भी चलाया जा सकता है।
दरअसल क्वॉर्क, फोटोशॉप, विडियो प्लेयर जैसे कई ऐप्लिकेशन स्पेस के भूखे होते हैं। इन पर काम करने के साथ ही मेमरी में स्पेस कम होता जाता है। इस दौरान जब कई सॉफ्टवेयर पर एक साथ काम किया जाता है, तब कंप्यूटर के हैंग और स्लो होने का खतरा बढ़ जाता है। बकौल जैन, 2 जीबी की RAM, 3 मेगाहर्ट्ज की स्पीड में चलने वाला सीपीयू और 160 से 320 जीबी तक की हार्ड डिस्क से लैस कंप्यूटर में स्लो या हैंग होने की दिक्कत कम आती है। ऐसे कंप्यूटर पर जनरल प्रोग्राम्स के साथ इंटरनेट से कंटेंट डाउनलोडिंग के अलावा विडियो-ऑडियो प्रोग्राम्स को भी चलाया जा सकता है।
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